बदलाव के लिए यात्रा, इस कार्यक्रम को हमने एक सफ़र या यात्रा की तरह देखा, एक ऐसा सफ़र जो तब तक चलता रहेगा जब तक हमारे रोजमर्रा के जीवन में यौन उत्पीड़न पर बदलाव की शुरुआत न हो जाये | इस यात्रा का उद्देश्य मुख्यता असंगठित कार्यस्थल पर हो रहे यौन उत्पीड़न को जड़ से मिटाना है | ऐसा करने के लिए हमारी टीम के सदस्य जिला स्तर पर असंगठित वर्ग के कामगारों के साथ चर्चा कर रहे है और उन्हें इस विषय पर जागरूक कर रहे है | इस यात्रा की शुरुआत उत्तर प्रदेश के आगरा मंडल से हुई, जहाँ हमने 3 जिलो में इस कार्यक्रम को आयोजित किया | हमारा यह मानना है की एक सुरक्षित कार्यस्थल सभी महिलाओ का हक़ है, और ये हमारा (समाज का) दायित्व है की महिलाओ को उनका हक़ मिले | इस यात्रा के आयोजन में हमे साथ मिला असंगठित कर्मचारी यूनियन, बिल्डिंग एंड वुड वर्क इंटरनेशनल एवम इंटक का, जिनकी मदद से हम ज्यादा से ज्यादा कामगारों के बीच अपनी बात को रख सके |
25 सितम्बर को हमने इस कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, हमारा पहला कार्यक्रम जिला फतेहाबाद में हुआ | फतेहाबाद के कार्यक्रम में 400 कामगारों ने हिस्सा लिया और यौन उत्पीड़न पर अपनी समझ बनाई | इस कार्यक्रम में महिलाओ ने अपनी बात रखी जिसमे उन्होंने ईट भट्टी में महिलाओ के लिए शौचालय और बाथरूम की व्यवस्था की बात रखी जिसकी कमी के कारण महिलाओ को उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है | आगरा ज़िला में अभी भी कोई स्थानीय समिति हमारी जानकारी के अनुसार कार्यरत नहीं है | आगे हमारी कोशिश रहेगी की राज्य स्तर पर हम इस कानून को सही तरीके से लागू करवा पाए | असंगठित कार्यस्थल में यौन उत्पीड़न के प्रकार बदल जाते है जिसमे ये समझना कई बार मुश्किल होता है की किस तरह के व्यवहार पर हमे आवाज़ उठाने की जरूरत है, ये जानना ज़रूरी है | इस कार्यक्रम उन व्यवहारों को समझने पर भी ध्यान दिया गया |
अगली सुबह एक नई दिशा में हम फ़िरोज़ाबाद की तरफ निकल गये | फ़िरोज़ाबाद चूड़ी उद्योग के लिए जाना जाता है, गलियों, बाजारों और घरो में भी लोग चूड़िया बनाते हुए देखे जा सकते है | हमारी चर्चा भी इंदिरा नगर के इसी उद्योग से जुड़े कामगारों के साथ हुई | इंदिरा नगर में हमारे सत्र में 115 महिलाओ ने भाग लिया, और अपने मुद्दों को सबके बीच रखा| वहां आयी सभी महिलाये अपने घर से चूड़ी का काम करती है, और उनके घर से पुरुष तैयार चूडियो को फैक्ट्री तक ले जाने का काम करते है| जहाँ उन्हें ठेकेदार से पैसा मिल जाता है | यहाँ की चर्चा में हमने उनके अनुभवों को यौन ऊत्पीडन की नज़र से समझने का प्रयास किया| हमने चर्चा में रखा की किस तरह उनके घर भी कार्यस्थल है क्योंकि वे अपना सारा काम घर से कर रही है| उन्हें भी काम के लिए समान रोजगारी का अधिकार है | फ़िरोज़ाबाद की स्थिति बहुत चिंतापूर्ण है क्योकि चूड़ी का काम से घर चलाना मुश्किल होता जा रहा है| महिलाओ ने चर्चा में ये भी जोड़ा की फ़िरोज़ाबाद महिलाओ के लिए बहुत असुरक्षित जगह है, और उन्हें प्रतिदिन गलियों और बाज़ार में यौन उत्पीड़न झेलना पड़ता है | फ़िरोजाबाद में भी यौन उत्पीड़न पर कोई समिति ज़िला स्तर पर कार्यरत नहीं है| ये सब सुनकर लगता है की बेटी को पढाना और बचाना एक राजनीतिक नारा बन कर रह गया है | जमीनी स्तर पर महिला सुरुक्षा की चिंता दिखाई नहीं देती | इस कार्यक्रम के अंतर्गत हमारा प्रयास ये भी है की कम से कम कानून के मुताबिक स्थानीय समिति का गठन तो हो ही जाये |
इस चरण का आखिरी पड़ाव था, मथुरा ज़िला में| मथुरा में भी महिलाओ के एक बड़े समूह से हमारी चर्चा हुई, जिसमे घरेलु कामगार, ईट भट्टियो में काम कर रही महिलाये और खेत मजदूर महिलाओ ने हिस्सा लिया. हमने यौन उत्पीड़न कानून के विषय में चर्चा करी और उनके अनुभवों को भी सुना | महिलाओ ने अपनी विवशता के बारे में बताया की किस कारण उन्हें सभी बातो को अनदेखा करना पड़ता है | ये एक बहुत बड़ी सच्चाई है, की हम आज भी आवाज़ उठाने में इसलिए डर महसूस करते है क्योंकि हमारा काम और रोजगार असुरक्षित है | इसी तरीके की चर्चा से हमे ये महसूस हुआ की कानून में भी कमी है, और इसे बदलने की ज़रुरत है | यौन उत्पीड़न अधिनियम 2013 के अंतर्गत संगठित क्षेत्र में हुए उत्पीड़न के लिए सजा का प्रावधान है पर उसी प्रकार असंगठित क्षेत्र की महिलाओ के लिए वे प्रावधान अधूरे लगते है | जिसपर सरकार को सोचने की आवश्यकता है|
यात्रा का पहला पड़ाव आगरा डिवीज़न के तीन जिलो के कार्यक्रमो के साथ समाप्त हुआ, जहाँ हमने 650 महिलाओ को यौन उत्पीड़न के विषय में समझ बना पाए |