आज डरेगें तो रोज डरना पड़ेगा - संजु की कहानी संजु की ज़ुबानी

द्वारका में रहने वाला विष्णु कुछ महीनो पहले तक अपने मोहल्ले का जाना माना बदमाश था | अपने बड़े भाई के नक़्शे कदमों पर चलने वाला यह 15 साल का लड़का अकसर ही कट्टों या तमंचों के साथ दिखता था | अपने मोहल्ले के लोगों को डराने के लिए वह इनका इस्तेमाल करने से भी झिझकता नहीं था | लड़कियों को छेड़ना और उन्हें देख कर अश्लील गानें गाना भी विष्णु के लिए आम बात थी |

विष्णु ने पहली बार जब कदम बढ़ाते चलो के बारे में सुना, तो उसे के.बी.सी. में कोई दिलचस्पी नहीं हुई | पर कार्यकर्त्ता के आग्रह करने पर, वह एक दिन के.बी.सी. के कार्यक्रम में आ गया | और उस दिन के बाद से विष्णु ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा | आज वह अपने समुदाय का एक अग्रणी युवा नेता है, जो खेल के माध्यम से दूसरे युवाओं को लिंग समानता के तरफ कदम बढ़ाने के लिए एकजुट कर रहा है | उसने कई नये दोस्त बनायें है और अपने उन दोस्तों को भी बदला है, जो पहले उसके साथ मोहल्ले में बदमाशी करते थें |

कट्टों और तमंचों को छोड़ कर अब विष्णु अपनी पढ़ाई खत्म करना चाहता है और सी.आर.पी.एफ का जवान बनना चाहता है | जहां वह पहले मोहल्ले के बदमाशों का नेता था, आज वहीँ वह अब अपने मोहल्ले के युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गया है |