जब के.बी.सी की युवतियों ने बाल विवाह रोका - मीना की कहानी

सिलीगुड़ी की 16 साल की मीना दास की कहानी कुछ अलग ही है | अपने परिवार के साथ रहने वाली यह युवती, अपने पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़ी है | वह कदम बढ़ाते चलो से भी जुड़ी हुई है और महिला और लड़कियों के साथ होने वाली हिंसा और अत्याचार के बारें में जानती है | पर मीना यह कभी नहीं जानती थी की किसी दिन वो भी इस हिंसा की शिकार बन जायेगी |


परिवार में सबसे बड़ी बेटी होने के कारण, उसके माता-पिता ने निश्चय कर लिया कि वे उसका विवाह जल्दी कर देंगें | पर पढ़ाई की शौक़ीन मीना स्कूल छोड़ कर विवाह करने के लिये न तो तैयार थी और न ही राज़ी थी | के.बी.सी. की कार्यशालाओं में भाग लेने की वजह से वह यह भी जानती थी की बाल-विवाह गलत है और उसका शोषण हो रहा है | पर उसने उम्मीद नहीं छोड़ी और अपने के.बी.सी. ग्रुप के सहेलियों को सब कुछ बता दिया |

मीना की व्यथा सुनने के बाद उसकी सहेलियां उसके घर पहुंची, जहां उन्होनें उसकी माँ को समझाने का प्रयत्न किया | पर वे जल्द ही समझ गये कि मीना के माता-पिता उनकी बात नहीं मानेगें और उन्होनें फोरन चाइल्डलाइन को फ़ोन कर दिया | चाइल्डलाइन के हस्तक्षेप से और मीना और उसके के.बी.सी. की साथियों की सूझ-भुझ से यह विवाह रुक गया | आज मीना बेहद खुश है, प्रतिदिन स्कूल जाती है और बहुत उत्सुकता से के.बी.सी की सभी गतिविधियों में भाग लेती है |